Monday, 9 January 2017

                    हमारा  नया रजवार(भित्ति-चित्र )संग्रह 

      सभी की शुभकामनाओं एवं ईश्वर की असीम कृपा से मुझे छत्तीसगढ़ हस्तकला विकास बोर्ड  द्वारा प्रायोजित ''त्रैमासिक प्रशिक्षण '' देने का अवसर प्राप्त हुआ। यह प्रशिक्षण गाठ 11 दिसम्बर 2016  को आरम्भ हुआ ,जो दिनांक  10 मार्च 2017  तक चलेगा। 
                 
       
इस प्रशिक्षण में मेरे निर्देशन में बनी  भित्ति-चित्रों को प्रदर्शन करने की चेष्टा कर रही हूँ ,इस पर अपने सुविचार प्रकट कर मेरे इस ब्लॉग को सुशोभित करने की कृपा करियेगा।


शुष्क काष्ठ संग्रहण :   तीनि और मिनी दो सहेलियों अपने घरेलु काम निपटाकर खेत तथा वन में सूखी टहनियों का संग्रह कर रही हैं। 

रोपण   :  बसन्ती अपने खेत में धान रोपण कर रही है 

मत्स्य विक्रय : उमा तालाब से मछली संग्रह कर गाँव के हाट में बेच रही है। 

 वापसी : कृषक युगल संध्या काल में गृह की ओर  प्रस्थान कर रहे हैं। 

परिवर्तन : समय के साथ गाँव में भी बदलाव आया ,चित्र में कृषक पति अपनी पत्नी हेतु खाना और पानी ला रहा है। 

नृत्य : प्रस्तुत झांकी में पति पत्नी नृत्य में तल्लीन हैं। 

धान संग्रहण : इसमे महिलायें धान को काट कर खलिहान में ला रही हैं। 


हम दो हमारे दो : एक खुशहाल परिवार की पहचान सिर्फ दो संतान। 


राह : ग्रामीण औरत संध्या में अपने पति की राह तक रही है।  
                                 

ढेकी : ग्रामीण महिला ढेकी से धान कूट रही है। 


कुआं : औरतें गाँव के कुएं से पानी भर  रही हैं। 


गोधूलि: गोधुली बेला में घर वापसी। 


देवांगन जी : देवांगनजी  कपड़ा बुनने के लिए सूत  कात  रहे हैं। 


माखन मथानी :  कोसरिया देवी माखन मथ रही हैं। 


करमा : परुष नारी  करमा नृत्य कर रही हैं। 


भोर : सुबह के कार्य दर्शित हैं। 



सूर्यास्त :  महिला अपनी बची के साथ सूर्यास्त के पूर्व घर पहुँचने के प्रयास में हैं। 

महुआ संग्रहण : महिलायें माघ माह में महुआ फल का संग्रहण कर रही हैं।